July 08.2016
पुराने स्मारक हमेशा से ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, खास कर उन लोगों को जिनकी रूचि और झुकाव ज़्यादातर इतिहास, कला और आर्किटेक्चर में होती है। ऐसे में स्मारक सबसे मुख्य आकर्षण के केंद्र होते हैं। भारत में कई ऐसे स्मारक हैं जिनको अलग अलग विषयों पर बनाया गया है और सबकी आर्किटेक्चरल स्टाइल भी अलग हैं। चलिए हम आपको ऐसे ही कुछ स्मारकों की झलक दिखाते हैं जिन्हें इस्लामिक आर्किटेक्चरल स्टाइल से बनाया गया है।
तो चलिए चलते हैं हम इन्हीं स्मारकों की सैर पर, देश की राजधानी दिल्ली में।
अलाई दरवाज़ा
क़ुतुब मीनार के परिसर में ही बने इस शानदार स्मारक को अलाउद्दीन खिलजी ने बनवाया था। भारत का सबसे पहला स्मारक जिसे इस्लामिक आर्किटेक्चरल स्टाइल से बनाया गया था। इसे लाल बलुई पत्थर से, सफेद मार्बल द्वारा अलंकृत करके बनाया गया। आपको यहाँ नश्क स्क्रिप्ट लिखी हुई शिलालेख भी इसके दीवारों पर देखने को मिलेगी। आप इसके किनारे में बारीकी से करी गयी कारीगरी और मेहराब भी देखेंगे जो कमल के कली की तरह लगती हैं, यह इस स्मारक की खूबसूरती को और भी बढ़ाती है।
लाल किला
जैसे ही आप दिल्ली का नाम सुनते हो सबसे पहले आपके दिमाग़ में आता है वहाँ का शान लाल किला। यह वा स्मारक है जिसका भारत में मुग़लों के शासन के समय सबसे ज़्यादा महत्व था, जिसे शाहजहाँ ने बनवाया था। पूरा स्मारक लाल बलुई पत्थर से बना हुआ है जिसमें जटिल कैलिग्राफी और फूलों की कला को इस अष्टकोण स्मारक की दीवार पर उकेरा गया है। इसे बनाने में लगभग दशकों का समय लगा था।
क़ुतुब मीनार
दिल्ली का एक और, लंबा और शानदार स्मारक जिसे देखने को दूर दूर से पर्यटक आते हैं। इस स्मारक को जिसमें 5 इमारत बालकनियाँ हैं, 3 अलग अलग शासकों द्वारा बनवाई गयी थी। और इसके आर्किटेक्चर में अलग तरह का स्टाइल बिल्कुल ही साफ नज़र आता है। इस स्मारक की लंबाई 73 मीटर उँची है और यह बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगी अगर हम इसे पुराने ज़माने का गगन चुंबी इमारत कहें। जैसा की हमने आपको बताया कि यह 5 मंज़िली इमारत 3 अलग शासन में बनी थी, इसकी वजह से इसकी पहली 3 इमारतें लाल बलुई पत्थर की बनी हैं और बाकी की दो संगमरमर और बलुई पत्थर से।
सफ़दरजंग का मकबरा
समाधी से समर्पित सफ़दरजंग का यह स्मारक दिल्ली का सबसे अंतिम में बाग में बना स्मारक है। इस जगह पर आप ज़रूर ही जाएँ जब भी दिल्ली की यात्रा पर जाएँ। इस स्मारक में चलने के लिए काफ़ी विशाल रास्ते हैं और इसका मकबरा सफेद संगमरमर से बनाया गया है जबकि बाकी की पूरी इमारत लाल बलुई पत्थर से। स्मारक में बहुत सारी छतरियाँ भी हैं और जैसा की यह बाग में बना मकबरा है यहाँ आपको कई तालाब और फव्वारे भी देखने को मिलेंगे।
हुमायूँ का मकबरा
लाल बलुई पत्थर से बना,यह अष्तकोण और उच्च स्तरीय मेहराब का मकबरा पर्शियन आर्किटेक्चर का एक क्लासिक उदाहरण है। यह सबसे पहला, बाग में बना स्मारक है जिसे हुमायूँ के निधन के 8 साल बाद बनाया गया था। यहाँ पर आपको चैनलों से जुड़े पूल और दक्षिण और पश्चिम दोनों तरफ प्रवेश द्वार देखने को मिलेंगे। मुग़ल आर्किटेक्चर के मूल को इस स्मारक में पूरी तरीके से दिखाया गया है।
ईसा ख़ान का मकबरा
यह मकबरा उसी परिसर में स्थित है जहाँ हुमायूँ का मकबरा है। और यह संकेन गार्डेन स्टाइल का सबसे क्लासिक उदाहरण है। यह मकबरा महान ईसा ख़ान को समर्पित है और इस मकबरे को खूबसूरत टाइलों, बरामदाओं और जालीदार खिड़कियों से सजाया गया है। अपनी दिल्ली की यात्रा में इस स्मारक की भी यात्रा ज़रूर करें।
दिल्ली की अपनी मज़ेदार यात्रा में इन स्मारकों और इनकी कारीगरी को देखकर आप ज़रूर ही आश्चर्य चकित और अवाक रह जाएँगे।
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