June 30.2016
New Lucky Restaurant story in Hindi : यदि आप कभी गुजरात में अहमदाबाद घूमने जाए तो लाल दरवाजा के पास स्थित लकी रेस्टोरेंट में जाके खाने – पीने का लुत्फ़ जरूर लीजियेगा। यह एक अनोखा रेस्टोरेंट है। इसकी खासियत इसमें बनी 12 कब्रें है। यह खबर पढ़ के आप एक बार जरूर चौकेंगे कि कब्रें और रेस्टोरेंट एक साथ। लेकिन यह हकीकत है।
न्यू लकी रेस्टोरेंट एक बहुत पुराने कब्रिस्तान पर बना है। इस रेस्टोरेंट के मालिक कृषणनन कुट्टी है।कृषणनन कुट्टी ने जब पुराने कब्रिस्तान पर रेस्टोरेंट खोलने के बारे में सोचा तो उन्होंने कब्रों को हटाने के बजाए उनके चारों ओर ही कुर्सी-मेज लगाने का फैसला किया।
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यह कब्रें पुराने मुस्लिम कब्रिस्तान की हैं और आज यह जगह बूढ़े और जवान लोगों के लिए खाने-पीने का मशहूर अड्डा बन गई है. कुट्टी कहते हैं, ‘कब्र अच्छी किस्मत लेकर आती है। इन कब्रों की वजह से हमारा बिजनेस फल-फूल रहा है. यहां आकर लोगों को अनूठा अनुभव मिलता है। कब्रें पहले जैसी थीं अब भी वैसी ही हैं। हमारे ग्राहकों को इससे कोई आपत्ति नहीं।
रेस्टोरेंट खुलते ही साफ-सफाई के बाद सबसे पहले इन कब्रों पर फूल और चादर चढ़ाई जाती है। रेस्टोरेंट के साथ इन कब्रो को भी सजाया गया है।
कृष्णन का कहना है कि यहां साल 2004 में विख्यात चित्रकार स्व. एमएफ हुसैन भी आए थे और उन्होंने एक चित्र बनाकर उन्हें भेंट किया था।
कब्रें किन लोगों की हैं इस बारे में रेस्टोरेंट के मालिक को कुछ खास नहीं पता है। वहीं, कुछ स्थानीय लोगों का दावा है कि यह कब्रें 16वीं सदी के सूफी संत के शिष्यों की हैं। रेस्टोरेंट के पास में ही सूफी की दरगाह है। रेस्टोरेंट के अंदर करीब दर्जन भर कब्रें हैं, जिनके चारों ओर लोहे की छड़ें लगाईं गईं हैं।
New Lucky Restaurant story in Hindi : यदि आप कभी गुजरात में अहमदाबाद घूमने जाए तो लाल दरवाजा के पास स्थित लकी रेस्टोरेंट में जाके खाने – पीने का लुत्फ़ जरूर लीजियेगा। यह एक अनोखा रेस्टोरेंट है। इसकी खासियत इसमें बनी 12 कब्रें है। यह खबर पढ़ के आप एक बार जरूर चौकेंगे कि कब्रें और रेस्टोरेंट एक साथ। लेकिन यह हकीकत है।
न्यू लकी रेस्टोरेंट एक बहुत पुराने कब्रिस्तान पर बना है। इस रेस्टोरेंट के मालिक कृषणनन कुट्टी है।कृषणनन कुट्टी ने जब पुराने कब्रिस्तान पर रेस्टोरेंट खोलने के बारे में सोचा तो उन्होंने कब्रों को हटाने के बजाए उनके चारों ओर ही कुर्सी-मेज लगाने का फैसला किया।
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यह कब्रें पुराने मुस्लिम कब्रिस्तान की हैं और आज यह जगह बूढ़े और जवान लोगों के लिए खाने-पीने का मशहूर अड्डा बन गई है. कुट्टी कहते हैं, ‘कब्र अच्छी किस्मत लेकर आती है। इन कब्रों की वजह से हमारा बिजनेस फल-फूल रहा है. यहां आकर लोगों को अनूठा अनुभव मिलता है। कब्रें पहले जैसी थीं अब भी वैसी ही हैं। हमारे ग्राहकों को इससे कोई आपत्ति नहीं।
रेस्टोरेंट खुलते ही साफ-सफाई के बाद सबसे पहले इन कब्रों पर फूल और चादर चढ़ाई जाती है। रेस्टोरेंट के साथ इन कब्रो को भी सजाया गया है।
कृष्णन का कहना है कि यहां साल 2004 में विख्यात चित्रकार स्व. एमएफ हुसैन भी आए थे और उन्होंने एक चित्र बनाकर उन्हें भेंट किया था।
कब्रें किन लोगों की हैं इस बारे में रेस्टोरेंट के मालिक को कुछ खास नहीं पता है। वहीं, कुछ स्थानीय लोगों का दावा है कि यह कब्रें 16वीं सदी के सूफी संत के शिष्यों की हैं। रेस्टोरेंट के पास में ही सूफी की दरगाह है। रेस्टोरेंट के अंदर करीब दर्जन भर कब्रें हैं, जिनके चारों ओर लोहे की छड़ें लगाईं गईं हैं।